हिंदी कहानियां का यह लेख जिसमे आपको बहुत सारी प्रस्तुति दी जाएगी। और यह सभी बच्चों ही नहीं बल्कि बड़ों के मार्गदर्शन से सभी को यह कहानी को पड़ना चाहिए जिससे कि बच्चों को अपने अच्छे से अच्छे चरित्र व अच्छा सा मार्गदर्शन मिल। in hindi kahaniyan video
दोस्तो आपको हम बता से को सभी कहानियों में अपनी अपनी अलग अलग शिक्षा व प्रेरणा चूपी हुई है. जिसका अनुसरण करके एवं यदि आप एक माता पिता है. तो अपने बच्चों को इस सभी कहानियां को आपके बच्चों के मार्गदर्शन के लिए उन्हें अवश्य बताना चाहिए.
हिंदी कहानी का यह लेख जिसमे बहुत सारी कहानियां पहले भी जोड़ी जा चुकी है. एवं आपको आने वाले समय में और भी नैतिक व अच्छी शिक्षा प्रदान करने वाली कहानी को जोड़ते जा रहे है.
एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह अपनी भूख मिटने के लिए भोजन की खोज में इधर से उधर घूमने लगी। जब उसे सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला तो वह गर्मी एवं भूख से हताश होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई।
अचानक उसकी उसने ऊपर देखा पेड़ पर एक कौआ बैठा हुआ था। उसके मुंह में रोटी का एक टुकड़ा था।
कौवे को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। वह कौवे से रोटी छीनने के उपाय सोचने लगी।
तभी लोमड़ी ने कौवे को कहा:— "क्यों भई कौआ भैया! सुना है तुम गीत बहुत अच्छे गाते हो। क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे?.
कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ। वह लोमड़ी की बातो में आ गया। गाना गाने के लिए उसने जैसे ही अपना मुँह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गई।
लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया एवं वहां से भाग गई। अब कौआ अपनी मूर्खता पर बहुत पछताया।
इस कहानी कि शिक्षा(Moral)
यह छोटी सी कहानी हमें स्पष्ट सन्देश देती है, कि हमें हमेशा झूठी प्रसंशा से बचना चाहिए।
एक समय की बात है जंगल में हिरन, कौआ, कछुआ और चूहे सभी में अच्छी मित्रता थी। एकबार जंगल में शिकारी आया ओर उस शिकारी ने हिरन को अपने जाल में फंसा लिया।
अब बेचारा हिरन असहाय-सा जाल में फंसा था। उसे लगा कि आज मेरी मृत्यु निश्चित है। इस डर से वह घबराने लगा। तभी उसके मित्र कौए ने ये सब देखा और उसने कछुआ और चूहे हो भी हिरन की सहायता के लिए बुलाया।
कौए ने जाल में फंसे हिरन पर इस तरह चोंच मारना शुरू कर दिया। जैसे कौये किसी मृत जानवर की लाश को नोंचकर खाते हैं। अब शिकारी को लगा कि कहीं यह हिरन मर तो नहीं गया।
तभी कछुआ उसके आगे से गुजरा शिकारी ने सोचा हिरन तो मर गया इस कछुए को ही पकड़ लेता हूँ। यही सोचकर वह कछुए के पीछे-पीछे चल दिया।
इधर मौका पाते ही चूहे ने हिरन का सारा जाल काट डाला और उसे आजाद कर दिया।
शिकारी कछुए के पीछे-पीछे जा ही रहा था। कि तभी कौआ उड़ता हुआ आया और कछुए को अपनी चौंच में दबाकर उड़ाकर ले गया। इस तरह सभी मित्रों ने मिलकर एक दूसरे की जान को बचा लिया।
इस कहानी से यह शिक्षा:—
साथ में मिलकर कार्य करने से कठिन कार्य भी आसान व सरल हो जाते हैं।
आपको अगली कहानी बताने से पहले हम अपको बता दे की आप हो सकता है कि इन हिंदी कि सभी कहानियां को आज ना पड़ पाए तो आपको इस लेख की लिंक को कहीं सुरक्षित कॉपी या फिर सहेज कर रख लेना चाहिए जिससे की जब भी आपको समय मिले आप सभी का अध्ययन कर सके। in hindi kahaniyan video.
एक शहर में विजय नाम का एक अमीर व्यापारी रहता था। उस व्यक्ति के पास बहुत ज्यादा अधिक धन था। एक दिन उसने अपनी पत्नी अंजू को करोडो रूपये का एक नेकलेस गिफ्ट किया। जिस कारण उसकी पत्नी अंजू को उस नेकलेस से काफी लगाव था।
एक बार वे दोनों एक धर्मयात्रा पर निकले। धर्मयात्रा में चलते चलते वे एक धर्मस्थल में पहुंचे। जहाँ अचानक एक नटखट बन्दर अंजू के नेकलेस को झपटकर ले गया। और उस बन्दर ने उसे एक ऊँचे पेड़ की टहनी में टांग दिया।
अंजू ने उस नेकलेस को निकालने की कोशिश की। किन्तु वह नाकाम हुई, और उसे देखकर वहां और लोग भी उस नेकलेस को निकालने में जुट गये। किन्तु वे लोग भी उस नेकलेस को निकालने में असमर्थ रहे।
अचानक लोगो को लगा की बन्दर ने उस नेकलेस को नीचे बहते गंदे नाले में गिरा दिया। कुछ लोगो ने उस नेकलेस को निकालने के लिए नाले में छलांग लगा दी। तभी उधर से गुजर रहे एक गुरूजी को यह सब देखकर बड़ा अजूबा हुआ।
उन्होंने गौर से देखा तो पाया की जिस नेकलेस को पाने के लिए लोग नाले में कूदे है। वह नेकलेस तो अभी भी पेड़ में लटक रहा है।
उन्होंने उन लोगो से कहा की आप जिस चीज को एक नाले में पाने की कोशिश कर रहे हो, वह तो सिर्फ उसकी परछाई है। असली चीज तो अभी भी पेड़ से लटक रही है। यह सब देखकर वे लोग हताश हो गये।
इस कहानी कि शिक्षा (Moral):—
इस कहानी की शिक्षा यह है कि हम बाहर की चीजो में खुशियाँ ढूंढते रहते है। और उन चीजो से खुद को खुश रखना चाहते है। लेकिन इन बाहरी चीजो से हमें क्षणिक भर ख़ुशी तो मिल सकती है, लेकिन असली ख़ुशी हमें तब ही मिलती है जब हमारा अंतरमन खुश हो। इसलिए खुशियाँ पाने के लिए बाहरी चीजो के बजाय खुद के अन्दर झांककर देखना चाहिए।
"हो सकता है आपको सभी कहानियां अच्छी लगा रही हो लेकिन कभी कभी कुछ एक कहानी की वजह से कुछ को लेख की अन्य कहानियों कि और ध्यान नहीं देते और वे चले जाते है। हम सिर्फ आपसे आग्रह ही कर सकते है की एक बार सभी को अवश्य पढ़े। और हा अन्य जैसे की मोटिवेशन, मोटिवेशनल, लोकप्रिय, मोरल जैसी ही अन्य कहानियों कि हिंदी कि लिंक को नीचे दे रहे है उन्हें भी पढ़े।"
किसी गाँव में एक साधु रहता था। वह साधु एक मंदिर में रहता था। और लोगों की सेवा करता था। भिक्षा मांगकर जो कुछ भी उसे मिलता वह उसे उन लोगों को दान कर देता, जो मंदिर साफ़ करने में उसका सहयोग करते थे।
उस मंदिर में एक चूहा भी रहता था। वह चूहा अक्सर उस साधु का रखा हुआ अन्न खा जाता था। साधु ने चूहे को कई बार भगाने की कोशिश की किन्तु वह चकमा देकर छिप जाता।
साधु ने उस चूहे को पकड़ने की काफी कोशिश की किंतू वह प्रत्येक प्रयास में असफल रहता। साधु एकदिन परेशान होकर अपने एक मित्र के पास गया।
उसके मित्र ने उसे एक योजना बताई कि चूहे ने मंदिर में अपना कहीं बिल बना रखा होगा। और वह वहां अपना सारा खाना जमा करता होगा। अगर उसके बिल तक पहुंचकर सारा खाना निकाल लिया जाये, तो चूहा खुद ही कमजोर होकर मर जायेगा।
अब साधु और उसके मित्र ने जहाँ तहाँ बिल खोजना शुरू कर दिया। अंततः उनको बिल मिल ही गया, जिसमें चूहे ने खूब सारा अन्न चुराकर इकठ्ठा कर रखा था। बिल खोदकर सारा अन्न बाहर निकाल दिया गया।
अब चूहे को खाना नहीं मिला तो वह कमजोर हो गया। और साधु ने अपनी छड़ी से कमजोर चूहे पर हमला किया। अब चूहा डर कर भाग खड़ा हुआ और फिर कभी मंदिर में नहीं आया।
इस कहानी कि शिक्षा(Moral):—
अपने शत्रु को हराना है। तो पहले उसकी शक्तियों पर हमला कर दो। शक्तियां खत्म तो शत्रु स्वयं कमजोर पड़ जायेगा।
हिंदी कहानियों से संबंधित एवं जिसमे मैंने आपके लिए बहुत सारी कहानियां लेके आया हूं यह लेख जारी है। आगे भी इस कहानियों को पढ़ते रहिए? धन्यवाद!
महात्मा गाँधी और खान अब्दुल गफ्फार खान एक ही जेल में कैद थे। यद्यपि देशी-विदेशी जेलर गाँधी जी का बहुत सम्मान करते थे। परन्तु गाँधी जी भी जेल के नियमो और अनुशासन का सख्ती से पालन करते थे। जेलर के आने पर गाँधी जी उनके सम्मान में उठकर खड़े हो जाते थे।
खान अब्दुल गफ्फार खान, जिन्हें सीमान्त गाँधी कहा जाता था। को गाँधी जी का यह तौर-तरीका नापसंद था। उनका कहना था की जो सरकार इस देश पर गलत ढंग से हुकूमत कर रही है। हम भला उसे और उसके संस्थाओ को मान्यता क्यों दे।
गाँधी जी का कहना था की हम जहाँ भी हो हमें वहां के अनुशासन का पालन करना चाहिए। एक दिन सीमान्त गाँधी ने महात्मा गाँधी पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा की "आप जेलर" का सम्मान इसलिए करते है। क्योंकि वह आपको नियम से अधिक सुविधाएँ देता है। उदाहरण के लिए हम लोगो को तो हिन्दी या अंग्रेजी का अख़बार मिलता है। लेकिन आपको गुजराती पत्र-पत्रिकाएँ भी मिलती है। आप इसलिए जेलर के अहसानमंद हो गये है। दुसरे दिन से गाँधी जी ने केवल एक ही अख़बार लिया और शेष साहित्य लेने से इंकार कर दिया।
एक महीना बीत गया। गाँधी जी जेलर के प्रति वही सम्मान प्रदर्शित करते रहे जो वे पहले किया करते थे। यह तौर-तरीका भला सीमांत गाँधी की नजर से कैसे चूक सकता था। उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, वे गाँधी जी के पास जाकर माफ़ी मांगने लगे। गाँधी जी ने हंसकर उन्हें गले लगा लिया। दुसरे दिन से सीमांत गाँधी के तेवर भी बदल गये और वे भी जेलर के आगमन पर उसके सम्मान में उठकर खड़े होने लगे।
इस कहानी कि शिक्षा
शिक्षा/Story:— दोस्तों यह कहानी हमें यह बताती है, कि व्यक्ति को अपनी गलती स्वीकार करने में कभी भी नहीं हिचकिचाना चाहिए और हर किसी का सम्मान करना चाहिए। हमें महात्मा गाँधी जी के जीवन से यह जरुर सीख लेनी चाहिए, की हमें हर व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए भले वह इंसान हमारा सम्बन्धी हो या नहीं।
जापानियों को ताज़ी मछली खाना बहुत पसंद होता है। ताज़ी मछलियाँ पकड़ने और फटाफट बेचने में वहाँ के मछुआरे डटे रहते हैं। किन्तु एक समस्या थी। जापान के समुद्री तटों पर मछलियाँ बहुत कम मिलती थी।
ढेर सारी मछलियाँ पकड़ने के लिए दूर समुद्र में जाना पड़ता था। सो मछुआरों ने बड़ी नावें तैयार की और गहरे समुद्र में जाकर मछलियाँ पकड़ कर लाने लगे।
लेकिन मछुआरे जितना अधिक दूर जाते, वापस आने में भी उतना अधिक समय लगता। कभी कभी तो 2-3 दिन बीत जाते। इससे पकड़ी हुई मछलियाँ ताज़ी नहीं रह जाती और खाने वाले स्वाद से समझ जाते कि मछली ताजी नहीं थी। इससे मछुआरों की मछलियाँ कम बिकने लगी।
इसका समाधान मछुआरों ने अपनी नावों में फ्रीज़र लगाकर किया। वो मछलियाँ पकड़ते और फ्रीजर में रख देते। इससे मछलियाँ खराब नहीं होती और वे लम्बी दूरी तक जा भी सकते थे।
लेकिन जापानी लोग भी और आगे। वो ताज़ी और जमी हुई मछली के स्वाद का अंतर पकड़ लेते और जमी हुई मछली का स्वाद भी उन्हें नहीं भाता था।
मछुआरों ने फिर यह समाधान निकाला कि नावों में ही छोटे वाटर टैंक बना दिए जाएँ। वे पकड़ी हुई ढेर सी मछलियाँ इस पानी के टैंक में भर देते।
मछलियाँ पहले बहुत संघर्ष करती लेकिन बाद में शांत हो जाती। चूँकि वाटर टैंक में बहुत जगह नहीं होती थी। इसलिए मछलियाँ ज्यादा तैर नहीं पाती थी लेकिन वो मछलियाँ मरती भी नहीं थी।
दुर्भाग्य से जापानी इन मछलियों को भी नापसंद करने लगे, क्योंकि इन सुस्त, थकी, स्थिर मछलियों का स्वाद ताज़ी मछलियों जैसा था ही नहीं।
अंत में मछुआरों ने इस समस्या का सही समाधान खोज ही निकाला।
मछुआरों ने उसी वाटर टैंक में एक छोटी Shark fish रखना शुरू कर दिया। शार्क कुछ मछलियाँ तो खा जाती थी, किन्तु फिर भी कई मछलियाँ बच जाती थीं। ये बची हुई मछलियाँ जिन्दा और ताज़ी बनी रहती थीं क्योंकि शार्क से बचने के लिए वो निरंतर संघर्ष करती रहती थीं।
जीवन की समस्याएं भी शार्क मछली जैसे ही हैं जो हमें बेहतर बनाने में और अपने अंतर्मन को मजबूत करने में काम आती हैं। हर काम शुरू में मुश्किल होता है। लगातार कठोर परिश्रम से एक दिन वो हमारे लिए आसान भी बन जाता है।
वह कौआ बड़ा चालाक और धूर्त था । उसकी कोशिश सदा यही रहती थी, कि बिना मेहनत किए खाने को मिल जाए।
पेड़ के आसपास खोह में खरगोश रहते थे । जब भी खरगोश बाहर आते तो बाज ऊंची उड़ान भरते और एकाध खरगोश को उठाकर ले जाते ।
एक दिन कौए ने सोचा:- वैसे तो ये चालाक खरगोश मेरे हाथ आएंगे नहीं, अगर इसका नर्म मांस खाना है। तो मुझे भी बाज की तरह करना होगा । एकाएक झपट्टा मारकर एक को पकड़ लूंगा ।
दूसरे दिन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने की बात सोचकर ऊंची उड़ान भरी।
फिर उसने खरगोश को पकड़ने के लिए बाज की तरह जोर से झपट्टा मारा । अब भला कौआ बाज का क्या मुकाबला करता ।
खरगोश ने उसे देख लिया और झट वहां से भागकर चट्टान के पीछे छिप गया । कौआ अपनी ही झोंक में उस चट्टान से जा टकराया।
नतीजा, उसकी चोंच और गरदन टूट गई एवं उसने वहीं तड़प कर दम तोड़ दिया।
इस कहानी कि शिक्षा (Moral):— नकल करने के लिए भी, अकल का होना अति आवश्यक है ।
चूहा फिर सोचने लगा:— काश मैं कुत्ता होता तो मैं कही भी निर्भीक होकर घूम सकता। भगवान ने उसे कुत्ता बना दिया। कुत्ता बनने के बाद वह दूर-दूर तक खूब घूमा।
एक दिन वह कुत्ता जंगल में चला गया, तो शेर उसके पीछे पड़ गया। वह किसी तरह अपनी जान-बचाकर वहा से निकला और.....
तब वह कुत्ता फिर बोला:— काश मैं शेर होता तो मैं बिना किसी डर के जंगल में घूमता रहता।
भगवान ने उसकी कही हुई बात सुनी-उसे शेर भी बना दिया। वह अब जंगल में जाकर रहने लगा। वह पूरा जंगल घूमता रहता। और वह बहुत ही खुश था। जब वह यह देखता की जंगल के सारे जानवर उससे डरते है।
एक दिन उस जंगल में एक शिकारी आ गया। वह शिकारी उस शेर को मारने के लिए तीर चलाने लगा। उसे उन तीरों से बचने के लिए गुफा की ओर भागना पड़ा, और वहा छुपना पड़ा।
फिर उस शेर ने सोचा:— यह भी कोई जिंदगी हुई. काश में मनुष्य होता।
इस बार भगवान को उस पर दया नहीं आई। और उन्होंने उसे फिर से चूहा बना दिया। और
भगवान उस चूहे से बोले:— मैं तुम्हे कुछ भी बना दूँ । पर तुम रहोगे तो चूहे ही।
इस कहानी कि शिक्षा
शिक्षा/Moral:— दोस्तों, यह कहानी हमें सीख देती है, कि जो व्यक्ति अपनी परिस्थितियो से घबरा कर पलायन करता है। उसे चाहे कितनी भी सुख सुविधाएँ दे दी जाय पर वह हमेशा असंतुष्ट ही रहेगा।
हमें कभी भी अपनी परिस्थितियो से घबरा कर पलायन नहीं करना चाहिए। चाहे दुःख कितना ही बड़ा हो या आपके हालात उस समय आपके पक्ष में न हो। आपको घबराना नहीं चाहिए। और उन परिस्थितियो में खुद को मजबूत बना कर उनका सामना करना चाहिए।
शाम के समय बच्चे, बूढ़े और जवान सभी पार्क में बिछी हरी हरी दूब। क्यारियों में खिले रंग बिरंगे फूल, तरह तरह के पेड़, लताएं और फव्वारों के बीच बैठकर फुरसत के क्षणों का आनन्द लूटते थे ।
एक दिन पार्क में दो बच्चे खेलते कूदते नदी के तट पर पहुंच गये। शरारत तो बच्चों का स्वभाव है। दोनों एक दूसरे के साथ धक्का मुक्की करते हुए नदी में जा गिरे।
नदी में बहते डूबते बच्चों पर मां की निगाह पड़ी और वह एकदम बदहवास सी पागलों की तरह चिल्लाने लगी अरे, कोई मेरे बच्चों को बचाओ। देखो, मेरे दोनों बच्चे डूब रहे हैं। कोई तो सहायता करो ।
स्त्री के चिल्लाने की आवाज सुनकर वहां भीड़ इकटठे हो गई। नदी गहरी थी । किसी की भी नदी में कूदने की हिम्मत नहीं हो रही थी । सब मूक दर्शक बने खड़े थे । मां हाथ पीट कर चिल्ला रही थी।
वह स्वयं ही दौड़कर नदी में कूदने ही वाली थी कि तभी अचानक कहीं से एक लड़का दौड़ता हुआ आया । उसने बच्चों को डूबते हुए देखा तो प्राणों की परवाह किये बिना ही उसने तुरन्त नदी में छलांग लगा दी।
वह तीर की तरह तैर कर, डूबते-उठते बच्चों के पास पहुंचा । उन्हें पकड़ कर पीठ पर लादा और तैरते हुए बच्चों को सुरक्षित किनारे पर ले आया। सभी दर्शक उसकी उदार साहसिकता को देखकर अचम्भित रह गये।
सभी मुक्त कंठ से लड़के की प्रशंसा करते हुए कह रहे थे, यह तो कोई मसीहा है। जो अचानक प्रकट होकर बच्चों की रक्षा के लिये आ गया ।
बच्चों की मां ने रोते रोते लड़के को सैंकड़ों दुआएं दे डाली । उसने कई बार प्यार से उसका माथा चूमा । इस साहसी और वीर बालक का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था ।
इस बालक में आरंभ से ही उदारता, साहसिकता और परोपकारिता कूट कूट कर भरी हुई थी । वह साहसी तो था ही, साथ ही वह सादगी पसंद, सत्यवादी और न्यायप्रिय भी था।
अपने इन्हीं गुणों के कारण वह हमेशा प्रगति के पथ पर आगे ही आगे बढ़ता रहा|
जिस मनुष्य में सादगी हो, सच्चाई हो, साहस और धैर्य हो, मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों से जूझने का दिल हो तभी वह व्यक्ति महापुरूष बनेगा ।
सभी हिंदी कहानियां को पढ़ने के लिए धन्यवाद । और आपको एक अंत में एक बात बता दे की यह लेख आज से पहले भी कई बार अपडेट किया जा चुका है और आगे भी अपडेट किया जाता रहेगा। यानी की इसमें कहानियों को बदल बदल कर जोड़ा जाएगा व बच्चों व बड़ों के लिए हिंदी कि कहानियां को लाया जा सकेगा।
आपको एक ओर आग्रह किया का रहा है कि इस हिंदी कहानियां जिसमे मैंने आपको मजेदार ओर इंट्रस्टिंग कहानी बताई थी। आपको सिर्फ इस लेख को अन्य लोगों तक शेयर करके पहुंचना हैं एवं इसके सबंधित जानकारी आपको कैसी लगी नीचे एक कमेंट भी करना है।
दोस्तो आपको हम बता से को सभी कहानियों में अपनी अपनी अलग अलग शिक्षा व प्रेरणा चूपी हुई है. जिसका अनुसरण करके एवं यदि आप एक माता पिता है. तो अपने बच्चों को इस सभी कहानियां को आपके बच्चों के मार्गदर्शन के लिए उन्हें अवश्य बताना चाहिए.
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हिंदी कहानी पर कहानियां |
हिंदी कहानी का यह लेख जिसमे बहुत सारी कहानियां पहले भी जोड़ी जा चुकी है. एवं आपको आने वाले समय में और भी नैतिक व अच्छी शिक्षा प्रदान करने वाली कहानी को जोड़ते जा रहे है.
हिंदी कहानी पर कहानियां : in hindi kahaniyan video
हम बच्चों के लिए हिंदी Short कहानियां के एक से एक अच्छी कहानियों को हिंदी भाषा में लिख रहे हैं. ये कहानियाँ केवल बच्चों के लिए हैं. बल्कि बहुत ज्यादा प्रेरणा प्रदान के साथ साथ शिक्षा भी हिंदी भाषा में प्रदान करती हैं. Hindi Kahaniyan Short Stories और उस आकर्षक भाषा में भी लिखी गई हैं। ये हिंदी कहानियां शिक्षकों के लिए भी बहुत ही ज्यादा उपयुक्त सिद्ध होगी हैं।हिंदी कहानी पर कहानियां [Hindi Kahaniyan]
5+ interesting short Hindi stories Kahaniyan.[1]
चालाक लोमड़ी
[Clever fox Hindi Kahaniyan]
एक लोमड़ी बहुत भूखी थी। वह अपनी भूख मिटने के लिए भोजन की खोज में इधर से उधर घूमने लगी। जब उसे सारे जंगल में भटकने के बाद भी कुछ न मिला तो वह गर्मी एवं भूख से हताश होकर एक पेड़ के नीचे बैठ गई।
अचानक उसकी उसने ऊपर देखा पेड़ पर एक कौआ बैठा हुआ था। उसके मुंह में रोटी का एक टुकड़ा था।
कौवे को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ गया। वह कौवे से रोटी छीनने के उपाय सोचने लगी।
तभी लोमड़ी ने कौवे को कहा:— "क्यों भई कौआ भैया! सुना है तुम गीत बहुत अच्छे गाते हो। क्या मुझे गीत नहीं सुनाओगे?.
कौआ अपनी प्रशंसा को सुनकर बहुत खुश हुआ। वह लोमड़ी की बातो में आ गया। गाना गाने के लिए उसने जैसे ही अपना मुँह खोला, रोटी का टुकड़ा नीचे गिर गई।
लोमड़ी ने झट से वह टुकड़ा उठाया एवं वहां से भाग गई। अब कौआ अपनी मूर्खता पर बहुत पछताया।
इस कहानी कि शिक्षा(Moral)
यह छोटी सी कहानी हमें स्पष्ट सन्देश देती है, कि हमें हमेशा झूठी प्रसंशा से बचना चाहिए।
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चार मित्र और शिकारी
[Four friends and hunters Hindi Kahaniyan]
एक समय की बात है जंगल में हिरन, कौआ, कछुआ और चूहे सभी में अच्छी मित्रता थी। एकबार जंगल में शिकारी आया ओर उस शिकारी ने हिरन को अपने जाल में फंसा लिया।
अब बेचारा हिरन असहाय-सा जाल में फंसा था। उसे लगा कि आज मेरी मृत्यु निश्चित है। इस डर से वह घबराने लगा। तभी उसके मित्र कौए ने ये सब देखा और उसने कछुआ और चूहे हो भी हिरन की सहायता के लिए बुलाया।
कौए ने जाल में फंसे हिरन पर इस तरह चोंच मारना शुरू कर दिया। जैसे कौये किसी मृत जानवर की लाश को नोंचकर खाते हैं। अब शिकारी को लगा कि कहीं यह हिरन मर तो नहीं गया।
तभी कछुआ उसके आगे से गुजरा शिकारी ने सोचा हिरन तो मर गया इस कछुए को ही पकड़ लेता हूँ। यही सोचकर वह कछुए के पीछे-पीछे चल दिया।
इधर मौका पाते ही चूहे ने हिरन का सारा जाल काट डाला और उसे आजाद कर दिया।
शिकारी कछुए के पीछे-पीछे जा ही रहा था। कि तभी कौआ उड़ता हुआ आया और कछुए को अपनी चौंच में दबाकर उड़ाकर ले गया। इस तरह सभी मित्रों ने मिलकर एक दूसरे की जान को बचा लिया।
इस कहानी से यह शिक्षा:—
साथ में मिलकर कार्य करने से कठिन कार्य भी आसान व सरल हो जाते हैं।
आपको अगली कहानी बताने से पहले हम अपको बता दे की आप हो सकता है कि इन हिंदी कि सभी कहानियां को आज ना पड़ पाए तो आपको इस लेख की लिंक को कहीं सुरक्षित कॉपी या फिर सहेज कर रख लेना चाहिए जिससे की जब भी आपको समय मिले आप सभी का अध्ययन कर सके। in hindi kahaniyan video.
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ख़ुशी का राज
[Secret Of Happiness Hindi Kahaniyan]
एक शहर में विजय नाम का एक अमीर व्यापारी रहता था। उस व्यक्ति के पास बहुत ज्यादा अधिक धन था। एक दिन उसने अपनी पत्नी अंजू को करोडो रूपये का एक नेकलेस गिफ्ट किया। जिस कारण उसकी पत्नी अंजू को उस नेकलेस से काफी लगाव था।
एक बार वे दोनों एक धर्मयात्रा पर निकले। धर्मयात्रा में चलते चलते वे एक धर्मस्थल में पहुंचे। जहाँ अचानक एक नटखट बन्दर अंजू के नेकलेस को झपटकर ले गया। और उस बन्दर ने उसे एक ऊँचे पेड़ की टहनी में टांग दिया।
अंजू ने उस नेकलेस को निकालने की कोशिश की। किन्तु वह नाकाम हुई, और उसे देखकर वहां और लोग भी उस नेकलेस को निकालने में जुट गये। किन्तु वे लोग भी उस नेकलेस को निकालने में असमर्थ रहे।
अचानक लोगो को लगा की बन्दर ने उस नेकलेस को नीचे बहते गंदे नाले में गिरा दिया। कुछ लोगो ने उस नेकलेस को निकालने के लिए नाले में छलांग लगा दी। तभी उधर से गुजर रहे एक गुरूजी को यह सब देखकर बड़ा अजूबा हुआ।
उन्होंने गौर से देखा तो पाया की जिस नेकलेस को पाने के लिए लोग नाले में कूदे है। वह नेकलेस तो अभी भी पेड़ में लटक रहा है।
उन्होंने उन लोगो से कहा की आप जिस चीज को एक नाले में पाने की कोशिश कर रहे हो, वह तो सिर्फ उसकी परछाई है। असली चीज तो अभी भी पेड़ से लटक रही है। यह सब देखकर वे लोग हताश हो गये।
इस कहानी कि शिक्षा (Moral):—
इस कहानी की शिक्षा यह है कि हम बाहर की चीजो में खुशियाँ ढूंढते रहते है। और उन चीजो से खुद को खुश रखना चाहते है। लेकिन इन बाहरी चीजो से हमें क्षणिक भर ख़ुशी तो मिल सकती है, लेकिन असली ख़ुशी हमें तब ही मिलती है जब हमारा अंतरमन खुश हो। इसलिए खुशियाँ पाने के लिए बाहरी चीजो के बजाय खुद के अन्दर झांककर देखना चाहिए।
"हो सकता है आपको सभी कहानियां अच्छी लगा रही हो लेकिन कभी कभी कुछ एक कहानी की वजह से कुछ को लेख की अन्य कहानियों कि और ध्यान नहीं देते और वे चले जाते है। हम सिर्फ आपसे आग्रह ही कर सकते है की एक बार सभी को अवश्य पढ़े। और हा अन्य जैसे की मोटिवेशन, मोटिवेशनल, लोकप्रिय, मोरल जैसी ही अन्य कहानियों कि हिंदी कि लिंक को नीचे दे रहे है उन्हें भी पढ़े।"
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चूहा और साधु
[Rat and monk हिंदी कहानियां]
किसी गाँव में एक साधु रहता था। वह साधु एक मंदिर में रहता था। और लोगों की सेवा करता था। भिक्षा मांगकर जो कुछ भी उसे मिलता वह उसे उन लोगों को दान कर देता, जो मंदिर साफ़ करने में उसका सहयोग करते थे।
उस मंदिर में एक चूहा भी रहता था। वह चूहा अक्सर उस साधु का रखा हुआ अन्न खा जाता था। साधु ने चूहे को कई बार भगाने की कोशिश की किन्तु वह चकमा देकर छिप जाता।
साधु ने उस चूहे को पकड़ने की काफी कोशिश की किंतू वह प्रत्येक प्रयास में असफल रहता। साधु एकदिन परेशान होकर अपने एक मित्र के पास गया।
उसके मित्र ने उसे एक योजना बताई कि चूहे ने मंदिर में अपना कहीं बिल बना रखा होगा। और वह वहां अपना सारा खाना जमा करता होगा। अगर उसके बिल तक पहुंचकर सारा खाना निकाल लिया जाये, तो चूहा खुद ही कमजोर होकर मर जायेगा।
अब साधु और उसके मित्र ने जहाँ तहाँ बिल खोजना शुरू कर दिया। अंततः उनको बिल मिल ही गया, जिसमें चूहे ने खूब सारा अन्न चुराकर इकठ्ठा कर रखा था। बिल खोदकर सारा अन्न बाहर निकाल दिया गया।
अब चूहे को खाना नहीं मिला तो वह कमजोर हो गया। और साधु ने अपनी छड़ी से कमजोर चूहे पर हमला किया। अब चूहा डर कर भाग खड़ा हुआ और फिर कभी मंदिर में नहीं आया।
इस कहानी कि शिक्षा(Moral):—
अपने शत्रु को हराना है। तो पहले उसकी शक्तियों पर हमला कर दो। शक्तियां खत्म तो शत्रु स्वयं कमजोर पड़ जायेगा।
हिंदी कहानियों से संबंधित एवं जिसमे मैंने आपके लिए बहुत सारी कहानियां लेके आया हूं यह लेख जारी है। आगे भी इस कहानियों को पढ़ते रहिए? धन्यवाद!
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गलती को स्वीकार करो
[Admit The Mistake Hindi Kahaniyan]
महात्मा गाँधी और खान अब्दुल गफ्फार खान एक ही जेल में कैद थे। यद्यपि देशी-विदेशी जेलर गाँधी जी का बहुत सम्मान करते थे। परन्तु गाँधी जी भी जेल के नियमो और अनुशासन का सख्ती से पालन करते थे। जेलर के आने पर गाँधी जी उनके सम्मान में उठकर खड़े हो जाते थे।
खान अब्दुल गफ्फार खान, जिन्हें सीमान्त गाँधी कहा जाता था। को गाँधी जी का यह तौर-तरीका नापसंद था। उनका कहना था की जो सरकार इस देश पर गलत ढंग से हुकूमत कर रही है। हम भला उसे और उसके संस्थाओ को मान्यता क्यों दे।
गाँधी जी का कहना था की हम जहाँ भी हो हमें वहां के अनुशासन का पालन करना चाहिए। एक दिन सीमान्त गाँधी ने महात्मा गाँधी पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा की "आप जेलर" का सम्मान इसलिए करते है। क्योंकि वह आपको नियम से अधिक सुविधाएँ देता है। उदाहरण के लिए हम लोगो को तो हिन्दी या अंग्रेजी का अख़बार मिलता है। लेकिन आपको गुजराती पत्र-पत्रिकाएँ भी मिलती है। आप इसलिए जेलर के अहसानमंद हो गये है। दुसरे दिन से गाँधी जी ने केवल एक ही अख़बार लिया और शेष साहित्य लेने से इंकार कर दिया।
एक महीना बीत गया। गाँधी जी जेलर के प्रति वही सम्मान प्रदर्शित करते रहे जो वे पहले किया करते थे। यह तौर-तरीका भला सीमांत गाँधी की नजर से कैसे चूक सकता था। उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, वे गाँधी जी के पास जाकर माफ़ी मांगने लगे। गाँधी जी ने हंसकर उन्हें गले लगा लिया। दुसरे दिन से सीमांत गाँधी के तेवर भी बदल गये और वे भी जेलर के आगमन पर उसके सम्मान में उठकर खड़े होने लगे।
इस कहानी कि शिक्षा
शिक्षा/Story:— दोस्तों यह कहानी हमें यह बताती है, कि व्यक्ति को अपनी गलती स्वीकार करने में कभी भी नहीं हिचकिचाना चाहिए और हर किसी का सम्मान करना चाहिए। हमें महात्मा गाँधी जी के जीवन से यह जरुर सीख लेनी चाहिए, की हमें हर व्यक्ति का सम्मान करना चाहिए भले वह इंसान हमारा सम्बन्धी हो या नहीं।
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संघर्ष ही जीवन है
[Struggle Is Life Hindi Kahaniyan]
जापानियों को ताज़ी मछली खाना बहुत पसंद होता है। ताज़ी मछलियाँ पकड़ने और फटाफट बेचने में वहाँ के मछुआरे डटे रहते हैं। किन्तु एक समस्या थी। जापान के समुद्री तटों पर मछलियाँ बहुत कम मिलती थी।
ढेर सारी मछलियाँ पकड़ने के लिए दूर समुद्र में जाना पड़ता था। सो मछुआरों ने बड़ी नावें तैयार की और गहरे समुद्र में जाकर मछलियाँ पकड़ कर लाने लगे।
लेकिन मछुआरे जितना अधिक दूर जाते, वापस आने में भी उतना अधिक समय लगता। कभी कभी तो 2-3 दिन बीत जाते। इससे पकड़ी हुई मछलियाँ ताज़ी नहीं रह जाती और खाने वाले स्वाद से समझ जाते कि मछली ताजी नहीं थी। इससे मछुआरों की मछलियाँ कम बिकने लगी।
इसका समाधान मछुआरों ने अपनी नावों में फ्रीज़र लगाकर किया। वो मछलियाँ पकड़ते और फ्रीजर में रख देते। इससे मछलियाँ खराब नहीं होती और वे लम्बी दूरी तक जा भी सकते थे।
लेकिन जापानी लोग भी और आगे। वो ताज़ी और जमी हुई मछली के स्वाद का अंतर पकड़ लेते और जमी हुई मछली का स्वाद भी उन्हें नहीं भाता था।
मछुआरों ने फिर यह समाधान निकाला कि नावों में ही छोटे वाटर टैंक बना दिए जाएँ। वे पकड़ी हुई ढेर सी मछलियाँ इस पानी के टैंक में भर देते।
मछलियाँ पहले बहुत संघर्ष करती लेकिन बाद में शांत हो जाती। चूँकि वाटर टैंक में बहुत जगह नहीं होती थी। इसलिए मछलियाँ ज्यादा तैर नहीं पाती थी लेकिन वो मछलियाँ मरती भी नहीं थी।
दुर्भाग्य से जापानी इन मछलियों को भी नापसंद करने लगे, क्योंकि इन सुस्त, थकी, स्थिर मछलियों का स्वाद ताज़ी मछलियों जैसा था ही नहीं।
अंत में मछुआरों ने इस समस्या का सही समाधान खोज ही निकाला।
मछुआरों ने उसी वाटर टैंक में एक छोटी Shark fish रखना शुरू कर दिया। शार्क कुछ मछलियाँ तो खा जाती थी, किन्तु फिर भी कई मछलियाँ बच जाती थीं। ये बची हुई मछलियाँ जिन्दा और ताज़ी बनी रहती थीं क्योंकि शार्क से बचने के लिए वो निरंतर संघर्ष करती रहती थीं।
जीवन की समस्याएं भी शार्क मछली जैसे ही हैं जो हमें बेहतर बनाने में और अपने अंतर्मन को मजबूत करने में काम आती हैं। हर काम शुरू में मुश्किल होता है। लगातार कठोर परिश्रम से एक दिन वो हमारे लिए आसान भी बन जाता है।
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नकल में अकल कैसे
एक पहाड़ की ऊंची चोटी पर एक बाज रहता था । पहाड़ की तराई में बरगद के पेड़ पर एक कौआ अपना घोंसला बनाकर रहता था ।वह कौआ बड़ा चालाक और धूर्त था । उसकी कोशिश सदा यही रहती थी, कि बिना मेहनत किए खाने को मिल जाए।
पेड़ के आसपास खोह में खरगोश रहते थे । जब भी खरगोश बाहर आते तो बाज ऊंची उड़ान भरते और एकाध खरगोश को उठाकर ले जाते ।
एक दिन कौए ने सोचा:- वैसे तो ये चालाक खरगोश मेरे हाथ आएंगे नहीं, अगर इसका नर्म मांस खाना है। तो मुझे भी बाज की तरह करना होगा । एकाएक झपट्टा मारकर एक को पकड़ लूंगा ।
दूसरे दिन कौए ने भी एक खरगोश को दबोचने की बात सोचकर ऊंची उड़ान भरी।
फिर उसने खरगोश को पकड़ने के लिए बाज की तरह जोर से झपट्टा मारा । अब भला कौआ बाज का क्या मुकाबला करता ।
खरगोश ने उसे देख लिया और झट वहां से भागकर चट्टान के पीछे छिप गया । कौआ अपनी ही झोंक में उस चट्टान से जा टकराया।
नतीजा, उसकी चोंच और गरदन टूट गई एवं उसने वहीं तड़प कर दम तोड़ दिया।
इस कहानी कि शिक्षा (Moral):— नकल करने के लिए भी, अकल का होना अति आवश्यक है ।
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चूहा और भगवान
एक बार की बात है। एक चूहा था। एक दिन उसने सोचा की चूहा होना बहुत गलत बात है। क्योंकि हमेशा बिल्लियों से खतरा रहता है। और बोलने लगा की काश मैं बिल्ली होता। यह सुनकर भगवान को चूहे पर दया आ गयी। और भगवान ने उसे बिल्ली बना दिया। बिल्ली बनने के बाद उसे कुत्तो से डर लगने लगा।चूहा फिर सोचने लगा:— काश मैं कुत्ता होता तो मैं कही भी निर्भीक होकर घूम सकता। भगवान ने उसे कुत्ता बना दिया। कुत्ता बनने के बाद वह दूर-दूर तक खूब घूमा।
एक दिन वह कुत्ता जंगल में चला गया, तो शेर उसके पीछे पड़ गया। वह किसी तरह अपनी जान-बचाकर वहा से निकला और.....
तब वह कुत्ता फिर बोला:— काश मैं शेर होता तो मैं बिना किसी डर के जंगल में घूमता रहता।
भगवान ने उसकी कही हुई बात सुनी-उसे शेर भी बना दिया। वह अब जंगल में जाकर रहने लगा। वह पूरा जंगल घूमता रहता। और वह बहुत ही खुश था। जब वह यह देखता की जंगल के सारे जानवर उससे डरते है।
एक दिन उस जंगल में एक शिकारी आ गया। वह शिकारी उस शेर को मारने के लिए तीर चलाने लगा। उसे उन तीरों से बचने के लिए गुफा की ओर भागना पड़ा, और वहा छुपना पड़ा।
फिर उस शेर ने सोचा:— यह भी कोई जिंदगी हुई. काश में मनुष्य होता।
इस बार भगवान को उस पर दया नहीं आई। और उन्होंने उसे फिर से चूहा बना दिया। और
भगवान उस चूहे से बोले:— मैं तुम्हे कुछ भी बना दूँ । पर तुम रहोगे तो चूहे ही।
इस कहानी कि शिक्षा
शिक्षा/Moral:— दोस्तों, यह कहानी हमें सीख देती है, कि जो व्यक्ति अपनी परिस्थितियो से घबरा कर पलायन करता है। उसे चाहे कितनी भी सुख सुविधाएँ दे दी जाय पर वह हमेशा असंतुष्ट ही रहेगा।
हमें कभी भी अपनी परिस्थितियो से घबरा कर पलायन नहीं करना चाहिए। चाहे दुःख कितना ही बड़ा हो या आपके हालात उस समय आपके पक्ष में न हो। आपको घबराना नहीं चाहिए। और उन परिस्थितियो में खुद को मजबूत बना कर उनका सामना करना चाहिए।
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साहसी बालक
शहर के बाहर एक विशाल पार्क था। उसी के साथ एक गहरी नदी तीव्र वेग से बहती थी।शाम के समय बच्चे, बूढ़े और जवान सभी पार्क में बिछी हरी हरी दूब। क्यारियों में खिले रंग बिरंगे फूल, तरह तरह के पेड़, लताएं और फव्वारों के बीच बैठकर फुरसत के क्षणों का आनन्द लूटते थे ।
एक दिन पार्क में दो बच्चे खेलते कूदते नदी के तट पर पहुंच गये। शरारत तो बच्चों का स्वभाव है। दोनों एक दूसरे के साथ धक्का मुक्की करते हुए नदी में जा गिरे।
नदी में बहते डूबते बच्चों पर मां की निगाह पड़ी और वह एकदम बदहवास सी पागलों की तरह चिल्लाने लगी अरे, कोई मेरे बच्चों को बचाओ। देखो, मेरे दोनों बच्चे डूब रहे हैं। कोई तो सहायता करो ।
स्त्री के चिल्लाने की आवाज सुनकर वहां भीड़ इकटठे हो गई। नदी गहरी थी । किसी की भी नदी में कूदने की हिम्मत नहीं हो रही थी । सब मूक दर्शक बने खड़े थे । मां हाथ पीट कर चिल्ला रही थी।
वह स्वयं ही दौड़कर नदी में कूदने ही वाली थी कि तभी अचानक कहीं से एक लड़का दौड़ता हुआ आया । उसने बच्चों को डूबते हुए देखा तो प्राणों की परवाह किये बिना ही उसने तुरन्त नदी में छलांग लगा दी।
वह तीर की तरह तैर कर, डूबते-उठते बच्चों के पास पहुंचा । उन्हें पकड़ कर पीठ पर लादा और तैरते हुए बच्चों को सुरक्षित किनारे पर ले आया। सभी दर्शक उसकी उदार साहसिकता को देखकर अचम्भित रह गये।
सभी मुक्त कंठ से लड़के की प्रशंसा करते हुए कह रहे थे, यह तो कोई मसीहा है। जो अचानक प्रकट होकर बच्चों की रक्षा के लिये आ गया ।
बच्चों की मां ने रोते रोते लड़के को सैंकड़ों दुआएं दे डाली । उसने कई बार प्यार से उसका माथा चूमा । इस साहसी और वीर बालक का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था ।
इस बालक में आरंभ से ही उदारता, साहसिकता और परोपकारिता कूट कूट कर भरी हुई थी । वह साहसी तो था ही, साथ ही वह सादगी पसंद, सत्यवादी और न्यायप्रिय भी था।
अपने इन्हीं गुणों के कारण वह हमेशा प्रगति के पथ पर आगे ही आगे बढ़ता रहा|
जिस मनुष्य में सादगी हो, सच्चाई हो, साहस और धैर्य हो, मुश्किल से मुश्किल परिस्थितियों से जूझने का दिल हो तभी वह व्यक्ति महापुरूष बनेगा ।
सभी हिंदी कहानियां को पढ़ने के लिए धन्यवाद । और आपको एक अंत में एक बात बता दे की यह लेख आज से पहले भी कई बार अपडेट किया जा चुका है और आगे भी अपडेट किया जाता रहेगा। यानी की इसमें कहानियों को बदल बदल कर जोड़ा जाएगा व बच्चों व बड़ों के लिए हिंदी कि कहानियां को लाया जा सकेगा।
आपको एक ओर आग्रह किया का रहा है कि इस हिंदी कहानियां जिसमे मैंने आपको मजेदार ओर इंट्रस्टिंग कहानी बताई थी। आपको सिर्फ इस लेख को अन्य लोगों तक शेयर करके पहुंचना हैं एवं इसके सबंधित जानकारी आपको कैसी लगी नीचे एक कमेंट भी करना है।