कारक किसे कहते हैं। कारक के भेद या प्रकार परिभाषा उदाहरण सहित - karak kise kahte hain
कारक किसे कहते हैं?
»"Karak Kise Kahate Hain: परिभाषा: जो वाक्य में आये संज्ञा आदि शब्दों का क्रिया के साथ संबंध बताते है, उन्हें कारक कहते हैं।"«
या
"वाक्य में क्रिया को पूरा कराने में अनेक संज्ञा शब्द संलग्न होते हैं इन संज्ञाओं के क्रिया शब्दों के साथ अनेक प्रकार के संबंध होते हैं। इनके संबंधों को व्यक्त करने वाली व्याकरण की कोटी को कारक कहते हैं।"
जैसे :- रविन्द्र ने बुक पढ़ी।
ऊपर के वाक्य में रविन्द्र पढ़ना क्रिया का कर्ता है। एवं बुक उसका कर्म है, अर्थात राहुल कर्ता कारक है और बुक कर्म कारक हैं।
कारक के सभी प्रकार या भेद
कारक आठ प्रकार के होते है।
- कर्ता ने (या कभी-कभी बिना चिह्न के)
- कर्म को
- करण से, के द्वारा, के साथ
- संप्रदान को, के लिए
- अपादान से (अलग होने का सूचक)
- संबंध में, पर
- अधिकरण का, की, के, रा, री, रे, ना, नी, ने
- संबोधन अरे, अरी, रे, ओ, हे, री
सभी प्रकार के कारक के भेदों को विस्तार में पढ़ें!
1] कर्ता कारक
कर्ता शब्द का अर्थ है — करने वाला
या
जिस रूप से क्रिया या कार्य के करने वाले का बोध होता है। वह कर्ता कारक कहलाता है। कर्ता कारक का विभक्ति — चिह्न "ने" है।
"ने" चिह्न का वर्तमान काल तथा भविष्य काल में प्रयोग नहीं होता है। इसका सकर्मक धातुओं के साथ भूतकाल में प्रयोग होता है।
जैसे-
कृष्ण ने कंस को मारा
ऊपर के वाक्य में क्रिया का कर्ता "कृष्ण" है। इसमें "ने" कर्ता कारक का विभक्ति - चिह्न है। इस वाक्य में "मारा" भूतकाल की क्रिया है।
"ने" शब्द का प्रयोग सामान्यतः भूतकाल में होता है। भूतकाल में अकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ भी ने चिह्न नहीं लगता है।
जैसे- वो रोया।
वर्तमान काल और भविष्यत काल की सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ "ने" चिह्न का प्रयोग नहीं होता है।
जैसे - वह गाना गाता है।
वह गाना गाएगा।
कभी - कभी कर्ता के साथ "को" और "स" का प्रयोग भी किया जाता है।
बालिका को सो जाना चाहिए ।
मीरा से पुस्तक पढ़ी गई ।
2] कर्म कारक
क्रिया के कार्य का फल जिस पर पड़ता है। उसे कर्म कारक कहते हैं। इस कारक का चिह्न "को" है। यह चिह्न भी बहुत - से स्थानों पर नहीं लगता।
जैसे :- राहुल ने साँप को मारा।
पहले वाक्य में "मारा" क्रिया है। और साँप कर्म है। क्योंकि मारने की क्रिया का फल साँप पर पड़ा है। इसलिए साँप कर्म कारक है।
रानी ने पत्र लिखा।
दूसरे वाक्य में "लिखने" की क्रिया का फल पत्र पर पड़ा। इसलिए पत्र कर्म कारक है। इसमें कर्म कारक का चिह्न "को" नहीं लगा है।
3] करण कारक
वाक्य की क्रिया को संपन्न करने के लिए जिस निर्जीव संज्ञा का प्रयोग किसी साधन के रूप में किया जाता है। उस संज्ञा करण कारक कहलाता है। इसका कारक चिह्न "से" के "द्वारा" है।
जैसे :-
राजा ने दुस्ट को बाण से मारा।
ऊपर के वाक्य में कर्ता राजा ने मारने का कार्य "बाण" से किया। इसलिए "बाण से" करण कारक है।
राजू गेंद से खेल रहे हैं।
ऊपर के वाक्य में कर्ता राजू खेलने का कार्य "गेंद" से कर रहे हैं। इसलिए "गेंद से" करण कारक है।
4] संप्रदान कारक
संप्रदान का अर्थ है :- देना
अर्थात की कर्ता जिसके लिए कुछ कार्य करता है, या जिसे कुछ देता है। संप्रदान कारक कहलाता हैं। संप्रदान कारक का चिह्न "के लिए" को हैं।
जैसे :-
अपनों के लिए वह कार्य कर रहा है ।
ऊपर के वाक्य में "अपनों के लिए" संप्रदान कारक हैं।
5] अपादान कारक
जब वाक्य की किसी संज्ञा के क्रिया के द्वारा अलग होने , तुलना होने अथवा दूरी होने का भाव प्रकट होता है। वहां अपादान कारक होता है। अपादान कारक का चिह्न "से" है।
जैसे :- सायकिल से बालक गिरा।
इस वाक्य में सायकिल से बालक का गिरना ये बताता है। कि सायकिल से बालक अलग हुआ (कुछ दूर हुआ) है ।
अर्थात ऊपर के वाक्य में सायकिल से अपादान कारक है।
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6] संबंध कारक
शब्द के जिस रूप से किसी एक वस्तु का दूसरी वस्तु से संबंध प्रकट हो। उस संबंध कारक कहते हैं।संबंध कारक का चिह्न (का, के, की, रा, रे, री) है।
जैसे :-
यह शंकर का बेटा है
इस वाक्य में "शंकर का बेटा" से संबंध प्रकट हो रहा है। इसलिए यहाँ संबंध कारक है।
7] अधिकरण कारक
शब्द के जिस रूप से क्रिया के आधार का बोध होता है वह अधिकरण कारक कहलाता हैं। अधिकरण कारक का चिह्न "में" , "पर" हैं।
जैसे:
बॉक्स में मोबाइल रखा है।
"बॉक्स में" रखने की क्रिया के आधार का पता चलता है। बॉक्स में अधिकरण कारक है।
8] संबोधन कारक
जिससे किसी को बुलाने या सचेत करने का भाव प्रकट हो। वह संबोधन कारक कहलाता है।इसमें संबोधन चिह्न ( ! ) लगाया जाता है।
जैसे:
अरे भैया ! क्यों रो रहे हो?
हे गोपाल! यहाँ आओ।
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कारक किसे कहते हैं। कारक के भेद या प्रकार परिभाषा उदाहरण सहित मैंने बताया जो की यदि आपको अच्छी लगी हो तो कृपया कमेंट करके अवश्य जाएं और साथ ही साथ अन्य दोस्तो आज शेयर करें!