जीवनी और आत्मकथा किसे कहते हैं? में अंतर बताइए क्या है
आज का यह लेख मुख्य रूप से जीवनी और आत्मकथा से संबंधित लेख लेकर आया जिसमें इन दोनों को क्या है? किसे कहते हैं? इनमें में विशेष प्रकार के अंतर बताइए. की सभी जानकारी सम्मिलित है! आपको हिंदी का यह लेख अवश्य ही पसंद आने वाला है। Jivani aatmakatha men amtar
जीवनी किसे कहते हैं? क्या है?
Jivani Kise Kahate Hain: प्रसिद्ध इतिहासज्ञ और जीवनी लेखक टामस कारलाइल ने अत्यंत सीधी सादी एवं संक्षिप्त परिभाषा में इसे एक व्यक्ति का जीवन कहा है।जीवन में किसी एक व्यक्ति के यथार्थ जीवन के इतिहास का आलेखन होता है , अनेक व्यक्तियों के जीवन का नहीं।
आत्मकथा किसे कहते हैं? क्या है?
Aatmakatha Kise Kahate Hain: साहित्य में आत्मकथा किसी लेखक द्वारा अपने ही जीवन का वर्णन करने वाली कथा को कहते हैं। यह संस्मरण से मिलती-जुलती लेकिन कुछ अलग है।आत्मकथा हमेशा व्यक्तिपरक होती हैं, यानि वह लेखक के दृष्टिकोण से लिखी जाती हैं। इनमें लेखक अनजाने में अथवा जानबूझ कर अपने जीवन के महत्वपूर्ण तथ्य लिख सकता है अथवा फिर कुछ मात्रा में असत्य वर्णन भी किया जा सकता है।
एक ओर आत्मकथा से व्यक्ति के जीवन एवं परिस्थितियों के बारे पढ़कर पाठकों को जानकारी व मनोरंजन मिलता है, और दूसरी ओर इतिहासकार आत्मकथाओं की जानकारी को स्वयं में मान्य नहीं ठहराते एवं सदैव अन्य स्रोतों से उनमें कही गई बातों की पुष्टी करने का प्रयास करते हैं।
आत्मकथा और जीवनी में अंतर क्या है बताइए
1]इनमें में सबसे बड़ा अंतर ये होता है की दोनों में किसी व्यक्ति की घटनाओं, प्रसंगों और चरित्र का विवरण देना होता है. किन्तु यदि लेखक खुद के बारे में ही ये सारी जानकारी देता है तो उसे आत्मकथा कहते हैं एवं यदि लेखक किसी दूसरे के बारे में ये सारी जानकारी देता है तो उसे जीवनी कहते हैं।
2]जीवनी किसी और द्वारा लिखे गए व्यक्ति के जीवन का एक विस्तृत विवरण है, जबकि आत्मकथा स्वयं विषय द्वारा लिखी गई है।
3] आत्मकथाओं में ऐसी जानकारी होती है जो विभिन्न स्रोतों से समय समय पर एकत्र की जाती है एवं इस प्रकार, यह पाठकों के लिए एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। दूसरी ओर, आत्मकथाएँ स्वयं विषय द्वारा लिखी जाती हैं, इसलिए लेखक तथ्यों एवं अपनी सोच को अपने तरीके से प्रस्तुत करता है, इस प्रकार पाठकों को एक समग्र संकीर्ण एवं पक्षपाती परिप्रेक्ष्य प्रदान करता है।
4] जीवनी बिना अनुमति के व्यक्ति उत्तराधिकारी के संबंध में लिखी जा सकती है। इसलिए जानकारी में तथ्यात्मक गलतियों की संभावना है। वहीं आत्मकथाएँ स्व-लिखित हैं एवं इसलिए उन्हें किसी भी प्राधिकरण की आवश्यकता नहीं है।
5] जीवनी लिखने का उद्देश्य पाठकों को व्यक्ति और उसके जीवन के बारे में बताना और सूचित करना है लेकिन आत्मकथा को व्यक्त करने के लिए लिखा जाता है, कथाकार के जीवन के अनुभवों और उपलब्धियों को व्यक्त करता है।
6]एक आत्मकथा में, लेखक पहले कथन का उपयोग करता है जैसे कि मैं, मैं, हम, वह, वह आदि। यह, बदले में, लेखक और पाठक के बीच एक अंतरंग संबंध बनाता है क्योंकि पाठक विभिन्न पहलुओं का अनुभव करता है जैसे कि वह/वह है। उस समय अवधि में जैसा एक जीवनी का विरोध तीसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण से है और बहुत कम अंतरंग है।
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